हमारे स्वतंत्रता सेनानी 

बाबु महादेव प्रसाद आर्य

जन्म तिथि – 04 जुलाई 1914 पुण्य तिथि- 27 फ़रवरी 1999 जन्म स्थान आशा टोला ,पोस्ट -बरियारपुर,जिला- मुंगेर ,पिन- 811211 ||

ये बात हवाओं को बताये रखना

रौशनी होगी चिरागों को जलाये रखना

लहू देकर जिसकी हिफाजत हमने की

ऐसे तिरंगे तो हमेशा दिल में बसाये रखना ||

“ जीवन गाथा “

                              स्वतंत्रता सेनानी बाबु महादेव प्रसाद आर्य सैकड़ों वर्षों से ग़ुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ भारत सन 1947 में आज़ाद हुआ | यह आजादी लाखों लोगों के त्याग और बलिदान के कारण संभव हो पाई | इन महान लोगों ने अपना तन-मन-धन त्यागकर देश की आज़ादी के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया | अपने परिवार, घर-बार और दुःख-सुख को भूल, देश के कई महान सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी ताकि आने वाली पीढ़ी स्वतंत्र भारत में चैन की सांस ले सके| स्वतंत्रता आन्दोलन में समाज के हर तबके और देश के हर भाग के लोगों ने हिस्सा लिया | स्वतंत्र भारत का हरेक व्यक्ति आज इन वीरों और महापुरुषों का ऋणी है जिन्होंने अपना सब कुछ छोड़ सम्पूर्ण जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया | इन्ही स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे बाबु महादेव प्रसाद आर्य |

                            बाबु महादेव प्रसाद आर्य जी का जन्म 4 जुलाई 1914 को आशा टोला बरियारपुर जिला मुंगेर ( बिहार ) में हुआ था |इनकी शिक्षा संस्कृत मध्याम से हुई और बाबु जी मध्यमा उतीर्ण थे |बाबु जी ने आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती से प्रभावित होकर आर्य समाज की दीक्षा लिए थे | समाज का शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उत्थान करना इनका मूल धेय था | गृहस्थ जीवन सँभालते हुए सामजिक ,धार्मिक कार्य एवं राजनीति में गहन रूचि रखते थे | बाबु महादेव प्रसाद आर्य जी का समाज और देश के प्रति निम्नलिखित योगदान था :-

  1.  बाबु जी ने 28 वर्ष के उम्र में गाँधी जी द्वारा संचालित “भारत छोड़ो आन्दोलन “ में सक्रिय योगदान दिए | अंग्रेजों द्वारा पकड़े जाने पर जमुई जेल में छह माह तक कैद रखे गए |
  2. ये जमालपुर अंचल के अंतर्गत नीरपुर ग्राम पंचायत के 10 वर्षों तक निर्विरोध सरपंच रहे |
  3. ये मध्य विद्यालय महादेवा बरियारपुर सलाह समिति के आजीवन सदस्य रहे |
  4. ये फिलिप उच्च विद्यालय बरियारपुर की निगरानी समिति के 2 वर्षों तक अध्यक्ष और 8 वर्षों तक अभिभावक सदस्य रहे |
  5. बाबु जी 5 वर्षों तक राजकीय औषधालय बरियारपुर के सरकार द्वारा नामित अध्यक्ष रहे |
  6. ये 5 वर्षों तक भूमि विकास बैंक मुंगेर के अध्यक्ष रहे |
  7. बाबु जी तीन वर्षों तक मुंगेर स्वतंत्रता सेनानी संघ के सभापति रहे |
  8. ये 2 वर्षों तक स्थानीय चन्द्रकला ब्रह्मदेव लोहिया कर्पूरी इंटर स्तरीय महाविद्यालय के विकास समिति के माननीय अध्यक्ष रहे |
  9. बाबु महादेव प्रसाद आर्य जी को सन 1980 में स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा प्राप्त हुआ |
  10. बाबु महादेव प्रसाद आर्य जी अखिल भारतीय गंगोत्री महासभा की स्थापना में तन मन धन से सक्रिय योगदान दिए |
  11. ये गंगोत्री ठाकुरबाड़ी बरियारपुर और साहेबगंज भागलपुर की स्थापना एवं विकास में अहम् योगदान दिए |
  12. बाबु जी दुर्गा स्थान आशा टोला बरियार के भूमि अधिग्रहण में मुख्य एवं सराहनीय योगदान दिए |

                                    भारत माता के ये महान सपूत “ बाबु महादेव प्रसाद आर्य ” जी आज हम सब के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं | इनकी जीवन गाथा हम सभी को इनके संघर्षों की बार-बार याद दिलाती है और प्रेरणा देती है | बाबु महादेव प्रसाद आर्य जी को शत शत नमन !

साहित्य 

डॉ० रमेश मोहन शर्मा `आत्मविश्वास ‘

जन्म तिथि – 1 फ़रवरी 1949

( पी-एच0 डी0 ; डी0 लिट्0)

ध्वनिवैज्ञानिक सह प्रथम मानक व्याकरणाचार्य – अंगिका भाषा ,

लोक साहित्याचार्य ,

कवि – कहानीकार सह  सेवानिवृत शिक्षक

 

 

“मुस्कराहट का कोई मोल नहीं होता,

कुछ भाषा  का कोई तोल नहीं होता,

बोली जाती है बहुत सी भाषा मगर ,

अंगिका भाषा की  तरह कोई  अनमोल नहीं होता..!!”

अंगिका भाषा के प्रथम मानक व्याकरणाचार्य , लोक साहित्याचार्य कवि कहानीकार, ध्वनि वैज्ञानिक और पेशे से सेवानिवृत शिक्षक  का जन्म १ फ़रवरी १९४९ को हुआ था | डॉ ० आत्मविश्वास अखिल भारतीय अंगिका साहित्य विकास समिति के राष्ट्रीय  अध्यक्ष हैं |

अंगिका भाषा को  डॉ आत्मविश्वास की निम्नलिखित देन हैं |

  • अंगिका अंचल के लोक साहित्य के समष्टि रूपों का प्रथम शोधग्रंथ ( पी- एच० डी० ) तैयार कर अंगिका बोली को लोकभाषा की श्रेणी में प्रतिष्ठापित  किया है |
  • चूँकि भाषा की मूल इकाई को ध्वनि अथवा भाषा ध्वनि कहते हैं | इसी दृष्टि से डॉ० आत्मविश्वास ने अंगिका भाषा की संपूर्ण ध्वनियों का वैज्ञानिक स्वरुप  डी० लिट्० के शोधग्रंथ में निरुपित कर अंगिका भाषा के प्रथम ध्वनि विज्ञान का निर्माण किया |
  • अंगिका भाषा के प्रथम मानक व्याकरण का निर्माण किया |
  • अंगिका भाषा के प्रथम मौलिक ध्वनिग्राम का निरूपण किया है |
  • अंगिका भाषा –प्रकृति के अनुसार नए संधि नियमों का निरूपण किया |
  • डॉ० आत्मविश्वास ने विश्वभाषा की दृष्टि से अंगिका भाषा में कई शिक्षा – सिद्धांतों का मौलिक निरूपण किया है | यथा – अनुस्वार और अनुव्यंजन ध्वनियों के सिद्धांतों का निरूपण किया |
  • प्राणवायु के निकास मार्ग की दृष्टि से ध्वनियों को वर्गीकृत करने के वैज्ञानिक सिद्धांत का निरूपण किया है |
  • ध्वनि एक और स्वरुप दो के सिद्धांत का निरूपण किया है |
  • दीर्घ स्वर के सिद्धांत का वैज्ञानिक निरूपण किया है | इस सिद्धांत के आधार पर ‘आ’ दीर्घ स्वर – ध्वनि का स्वरुप नहीं , मूल स्वर – ध्वनि का स्वरुप है |
  • डॉ ० आत्मविश्वास ने अपने शास्त्र में मूल स्वर ध्वनियों के शिधंत का निरूपण किया है | इस सिद्धांत के आधार पर अंगिका भाषा में कोई संयुक्त स्वर नहीं है |
  • डॉ आत्मविश्वास ने अंगिका भाषा में हलस्वर के सिद्धांत का वैज्ञानिक निरूपण किया है | इसके आधार पर अंगिका भाषा में हल व्यंजन में भी हलस्वर की स्थापना दी गयी है |
  • डॉ ० आत्मविश्वास ने अपने शास्त्र में स्वरित स्वर के सिद्धांत के आधार पर एक मौलिक ध्वनि स्वरुप ‘अ’ का वैज्ञानिक निरूपण किया है |

                                                              डॉ ० आत्मविश्वास के अंगिका भाषा में  अद्वितीय उपलब्धियों के लिए शत शत नमन !

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श्री त्रिलोकी नाथ ‘दिवाकर’

जन्म तिथि 20 अप्रैल 1965

जन्म स्थान – राघोपुर (हयलेबल) नवगछिया, जिला भागलपुर

                        अंगिका भाषा भारत की आर्य भाषा है जो बिहार के पूर्वी, उत्तरी व दक्षिणी भागों, झारखण्ड के उत्तर पूर्वी भागों और पं. बंगाल के पश्छिम भागों में बोली जाती है जिसमें गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, देवघर, कोडरमा, गिरिडीह जैसे जिले सम्मिलित हैं। यह भाषा बिहार के भी पूर्वी भाग में बोली जाती है जिसमें भागलपुर, मुंगेर, खगड़िया, बेगूसराय, पूर्णिया, कटिहार, अररिया आदि सम्मिलित हैं। यह नेपाल के तराई भाग में भी बोली जाती है। इसी भाषा के प्रख्यात कवि श्री त्रिलोकीनाथ दिवाकर जी का जन्म राघोपुर (हायलेबल) नवगछिया, भागलपुर में श्री जयराम मंडल और श्रीमती उर्मिला देवी के घर दिनांक 4 अप्रैल 1965 को हुआ |

                       श्री त्रिलोकी नाथ दिवाकर जी अंगिका भाषा के जाने माने प्रख्यात कवि हैं |पेशे से अधिवक्ता श्री त्रिलोकी नाथ दिवाकर जी व्यवहार न्यायालय, भागलपुर , बिहार में प्रैक्टिस करते हैं और अंगिका भाषा में विशेष रूचि रखते हैं | श्री दिवाकर की रूचि अंगिका भाषा में गीत गज़ल लेखन और काव्य पाठ की रहती है | श्री दिवाकर अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच, भागलपुर, बिहार के राष्ट्रीय उपमहामंत्री हैं | अक्सर श्री दिवाकर जी की अंगिका गीत गजल की प्रस्तुति आकाशवाणी भागलपुर एंव दूरदर्शन बिहार के मध्याम से होती रहती है |

श्री दिवाकर जी को वर्ष 2008 में राज्य स्तरीय सर्वभाषा सद्भावना काव्योत्सव उधाडीह, सुलतानगंज, भागलपुर द्वारा “अंग पराग सम्मान”; अंग सुगंध साहित्य कला मंच, बिहपुर, भागलपुर द्वारा “जगदीश पाठक मधुकर सम्मान”; विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, गांधीनगर इशीपुर, भागलपुर द्वारा “कवि शिरोमणि सम्मान” ; पंचशील चैरिटेबुल सोसायटी, 25/4 कड़कड़टुम्म एरिया, सेन्ट्रल बैंक के ऊपर, नई दिल्ली -110092 भारत द्वारा “पंचशील शिरोमणि सम्मान” ; क्षेत्रिय सर्व भाषा कवि सम्मेलन, खडिया, मुंगेर द्वारा “अंग भूषण सम्मान “ मिला |

वर्ष 2009 में श्री दिवाकर स्नातकोत्तर अंगिका विभाग, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर द्वारा सम्मानित हुए |

वर्ष 2018 में विश्व अंगिका साहित्य सम्मेलन, पटना द्वारा “श्री कपिल सिंह मुनी अंग विभुति सम्मान से श्री त्रिलोकी नाथ दिवाकर को सम्मानित किया गया |

वर्ष 2019 में ही अ. भा. अंगिका साहित्य विकास समिति, भागलपुर द्वारा “अंगिका ज्ञान ज्योति सम्मान तथा तिलकामांझी राष्ट्रीय सम्मान “अंगिका साहित्य ” वर्ष 2019 द्वारा सम्मानित किया गया |

श्री त्रिलोकी नाथ दिवाकर बहुमुखी प्रतिभा के अंग प्रदेश के साथ साथ सम्पूर्ण बिहार और झारखण्ड के कवि हैं | सम्पूर्ण प्रदेश को श्री त्रिलोकी नाथ दिवाकर जी पर नाज़ है |

वर्तमान पता-

त्रिलोकी नाथ दिवाकर “अधिवक्ता”

6 L H 110 हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी बरारी,

पोस्ट +थाना -बरारी, जिला-भागलपुर,

बिहार, पिन कोड़ -812003

ईमेल : advtriloki1@gmail.com

वाट्सएप नंबर :9934433329

वेदांत सृजन